Diya Jethwani

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लेखनी प्रतियोगिता -24-Feb-2023.. एहसास...

विकी चल ने दे बेटा..... 


हां भाई चलने दो.... मम्मी की फेवरेट मुवी हैं...। 

अरे यार मम्मा... प्लीज....आज मैच हैं इंडिया का... आपकी ये मूवी तो हर हफ्ते आतीं हैं...। 

ठीक हैं बेटा.... चला ले तेरा क्रिकेट....। 

मैं उसके सिर पर हाथ फेरकर वहां से उठकर अपने आशियाने यानि किचन में चलीं गई... । पूरे घर में मेरा सबसे ज्यादा वक्त उस किचन में ही तो बीतता था...। 


अभी वहां पहुंची ही थीं की विकी की आवाज आई.... मम्मा... किचन में गए हो तो पानी तो लेते हुए आना..।

हां.... लाई...। 

पानी की बोतल लेकर बाहर देने आई तो फिर से बच्चे बोले :- मम्मा... चाय पीला दो ना..। 

हां... बनाती हूँ..। 

किचन में आई ओर रसोईघर की खिड़की खोली तो बाहर पास वाले मकान से हल्की सी एक गाने की आवाज आई...। 
ध्यान दिया तो कुछ बोल गाने के मेरे कानों में पड़े... बस फिर क्या था... चाय बनाते बनाते मैं भी लग गई... गुनगुनाने..
अजीब दास्ताँ हैं ये... 
कहाँ शुरू कहाँ खत्म.... 
ये मंजिलें हैं कौनसी.... 
ना वो समझ सकें ना हम. ....। 

मुबारकां तुम्हें की तुम.... 
किसी के खास हो गए.... 
किसी के इतने पास थे... 
की सबसे दूर हो गए....। 

गुनगुनाते गुनगुनाते मेरी आंखें छलक पड़ीं.... गाने की एक एक पंक्ति ऐसा लगा मानों मेरे अतीत को सुना रहीं हो....।ऐसो लगा मानो कल ही की बात हो... पर पूरे सोलह साल हो चुके थे.....। 
शुरू शुरू में लगा कभी ना कभी तो उनको एहसास होगा... लौट आएंगे... मेरी ना सही... बच्चों की ही सही.. कभी तो याद आएगी... । पर ये इंतजार दिन से महीनों में ओर महीनों से सालों में बीत चुका था.....। 
शादी के तीन सालों बाद ही छोड़ कर चले गए..। ना कभी उनको याद आई ना कभी हमारी कमी का एहसास हुआ...। 
किसी ने शायद सच ही कहा हैं.... जिनको छोड़ना होता हैं वो छोड़ कर चले जाते हैं... छोड़ कर जाने वाले कभी वापस नहीं लौटते...। 

शुरू के कुछ साल तो मेरे लिए बहुत मुश्किल थे... उस वक्त मायके वालों ने हिम्मत दी... बच्चे भी छोटे थे.. लेकिन फिर मेरी वजह से मम्मी और भाभी में आए दिन लड़ाईयॉ होतें देख.. मैं बच्चों के साथ अकेले रहने लगी...। ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं थीं... इसलिए कही नौकरी मिलना मुश्किल था... ऊपर से बच्चों की जिम्मेदारी... इसलिए घर पर रहकर ही टिफिन सर्विस शुरू कर दी....। क्योंकि उस इलाके में पढ़ाई के लिए बच्चे अलग अलग शहरों से आकर रुकते थे... ऐसे में घर के खाने को तो हर कोई याद करता था...। 

आज दो नही पूरे चालिस बच्चे हैं मेरे...। सब आई कहकर ही भुलाते हैं...। एक अलग ही अपनापन सा मिलता हैं उन सभी से..। लेकिन फिर भी दिल के किसी कोने में ये आंखें आज भी इंतजार में हैं की कभी तो एहसास होगा....! 


वो पल में बीतें साल लिखूँ... 
या सदियों लम्बी रात लिखूँ.. । 
मैं तुमको अपने पास लिखूँ.. 
या दूरी का अहसास लिखूँ..।। 




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5 Comments

Sushi saxena

26-Feb-2023 10:40 PM

Nice 👍🏼

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Alka jain

26-Feb-2023 02:24 PM

Nice

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Radhika

25-Feb-2023 10:02 PM

Nice

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